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Sakhi M

Romance Fantasy

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Sakhi M

Romance Fantasy

प्रत्य़क्ष

प्रत्य़क्ष

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जागी आँखोने फिर रात भर 

वो ही पुराने ख्वाब देखे  

न था तू आस पास कहीं पर 

तुझ संग जिए दिनरात देखे 


लहराते खेतों के बीच बसे  

पेड़ तले घर अपने  देखे 

कच्ची पक्की दीवारों में 

संग संग लिए निवाले  देखे 


बरगद के पेड़ों की शाखों में 

तेरी बाहों के घेरे देखे 

फूलों वाले मंडप में  मैंने 


हाथों में हाथ बस तेरे देखे 

साजन कहकर  पुकारा दिल से  

तुझ संग किये बसेरे देखे 

सदियों तक याद रहेंगे  ऐसे 

मोहब्बत से भरे  किस्से  देखे 


कुछ तेरे कुछ मेरे देखे 

इश्क़ के फरमान  देखे 

अरमानों के पैगाम  देखे 

नज़रों में भरे जाम देखे।


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