इबादत
इबादत
तेरा इंतज़ार कैसे मैं छोड़ दूँ
बता मुझको ये इबादत कैसे छोड़ दूँ
हर ज़र्रे में तू ही तू नज़र आता है
ये मर्ज़ ए दिल अब मैं कैसे बोल दूँ
मान लिया हक़ नहीं है तुझ पर मेरा
किसी और का मैं तुझको कैसे बोल दूँ
खामोशियों का शोर हो जब दूर तलक
चाहत तेरी पुकारों की मैं कैसे छोड़ दूँ
तनहा सताए ज़िन्दगी की राहें अगर
तड़प तेरे दीदार की मैं कैसे छोड़ दूँ
ऐ मोहब्बत अब तू ही बता दे मुझे
तेरा इंतज़ार कैसे मैं छोड़ दूँ ।

