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सोनी गुप्ता

Tragedy

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सोनी गुप्ता

Tragedy

अकेलेपन का सफर

अकेलेपन का सफर

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रात के अकेलेपन में 

एक करुण गान सुनाई पड़ता है 

बंद हुए जब नेत्र मौन सारा संसार है 

उस करुण गान ने निंद्रा भंग कर दी 

क्यों सिसक उठा ह्रदय मेरा सुनकर ? 

क्यों धधक उठी वो अग्नि ? 


आंखों से आंसुओं की धारा बह रही

आखिर क्या सुना मेरे हृदय ने

जीवन स्वप्न क्यों टूट गया ? 

किसका कौन अपनों से रूठ गया ? 

धुंधला सा प्रतिबंध दिखाई देता है 

स्वर उन सांसो का घुट रहा 

जब करुण गान सुनाई पड़ता है 

आज रात का अकेलापन मुझको 

रह-रहकर जाने क्यों खलता है


यह सुखों के क्षणों में अचानक

दुखों का व्यवधान क्यों आया ? 

किसी की यादों का वो स्वर्णिम पल 

रेत सा जाने क्यों फिसलता है ? 

रात के अकेलेपन में आज 

एक करुण गान सुनाई पड़ता है 


आह! क्यों आर्द्र हुआ कंठ ? 

हाय कैसी पीड़ा आई है ? 

गान में उसने विरह वेदना

आज सबको सुनाई है!! 



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