ऐ वतन
ऐ वतन
ऐ वतन
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।
बादल की अदा का या सावन की घटा का,
मिट्टी की सदा का, पत्थर की अना का,
बुलबुल ने जो माँगी हो मासूम दुआ का,
बारिश से महकती हुई सौधीं फ़िज़ा का,
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।
ताई की मोहब्बत का, ताऊ की गरज का,
पापा के तोह्फ़ों का, माँ की तड़प का,
चाचा की शरारत भरी तरक़ीबों जुगत का,
मासी के गोदी में उठाने की सिफ़त का,
मौसा की नसीहत भरी बातों की सफ़ों का,
मामा के अहम का, मामी के गिला का,
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।
बेटे की कुल्फ़ी का, बेटी की हीना का,
छत पे सूखती मिर्ची की सज़ा का,
अमरूद गुलाबी निकलने के मज़े का,
आम की गुठली को चूसने की कला का,
धनिये की चटनी का, मुरब्बों की दवा का,
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।
तरबूज़ के पकने का, ख़रबूज़े के रंग का,
गंगा के बड़प्पन का, जमुना की सना का,
गरमी की लुओं में अमचूर के रस का,
गेहूं के भूसे मे छिपे बर्फ़ का,
धान फटकते हुऐ छाजों की हवा का,
कबड्डी का कुश़्ती का ,बैठक की चिलम का,
खिचड़ी में उतरे हुऐ अचार और घी का,
घूंघट में बैठी हुई दुल्हन की हया का,
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।
फ़जर की अज़ानों में तौहीदे बयां का,
मंदिर से कान्हा की मुरली की नवा का,
पढ़ते हुऐ बच्चों का रटना सबक का,
फ़कीर का दरवाज़े पे देती दुआ का,
जाड़ों का गरमी का बारिश की निदा का,
छत की हवा का, आँगन की धूप का,
लिहाफ़ में जल्दी से घुस जाने के मन का,
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।
ससुराल में खातिर का, दफ़्तर में अहद का,
पान चबाकर चलने की अदा का,
रसगुल्ले से न हटती नज़र का,
जलेबी के मटकने का, हलवे के भभकने का,
भौजी को चिढ़ाने का, बहनों को सताने का,
पत्नी को मनाने का, यारों से सुनने का,
बेसुर हो फिर भी गाते जाने का,
कैसे मैं सिला दूँ तेरी वफ़ा का।।