अधूरे ख्वाबों के किताब
अधूरे ख्वाबों के किताब
अधूरे ख्वाबों के किताब में तुमको ढूंढता रह गया,
जिंदगी के हर सवालों का मैं जवाब ढूंढता रह गया,
लगा जैसे मैं कुछ यूँ फिसल गया इश्क के रास्तों में,
जिंदगी के आईने में पुरानी दास्तान ढूंढता रह गया,
ख्याल बनकर जब-जब तुम मेरी जिंदगी में आए हो,
हर बार तुम्हारे इश्क के जाल में तड़पता ही रह गया,
कभी फूल ही फूल खिले थे दिल में तुम्हारे मिलने पर,
आज हाथों में प्यार की लकीरों को ढूंढता ही रह गया,
मैं रूठ जाऊँ तुमसे अब तो ये सूरत नजर आती नहीं,
इश्क़ के समंदर में जीवन नैया पार करता ही रह गया I