STORYMIRROR

S Ram Verma

Romance

2  

S Ram Verma

Romance

अधूरे चांद की शाम।

अधूरे चांद की शाम।

1 min
377


आधे चाँद कि अधूरी शाम को

अब पूरी शाम करना चाहती हूँ  


उस तुम्हारे अनछुए एहसास को अब 

मैं तुम्हें छूकर पूरा करना चाहती हूँ


जो मेरे अनकहे जज़्बात है उन अनकहे

जज़्बात को कहकर पूरा करना चाहती हूँ


जिसकी हर पल बहुत याद आती है उसके 

बिना गुजरती अधूरी शाम को उसके साथ

गुजार कर अब पूरी करना चाहती हूँ


आज भी कही दूर बजती घंटियों कि आवाज़  

को अकेले सुनने का जो अधूरापन है  

उन घंटियों की आवाज़ को तुम्हारे साथ

बैठ कर सुनना चाहती हूँ


वो मेरे साथ चलती तुम्हारी अकेली

परछाईं को  

तुम्हारा हाथ थाम कर दोकली

करना चाहती हूँ


आधे चाँद कि अधूरी शाम को

अब पूरी शाम करना चाहती हूँ !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance