सरमाया
सरमाया
इश्क ही रूठा मुझसे..
करती मैं क्या दुआ..
रब सा.. रब में हो तुम...
और क्या मांगती भला ...
रस्मों रिवाज़ न समझूं..
कुछ क्या करती भला..
अहसास से बंधे हो तुम....
और क्या कहती बता...
कब तू बेखबर मुझसे...
करती क्या फिक्र बता...
सांसों की सदा हो तुम..
और क्या निभाती वफा..
खामोश फिजा मुझसे..
वफा को क्या नाम देती...
एक हम है या हो तुम..
और क्या समझाती जफा..
जुदाई सह गयी मुझसे ...
दिल क्या माने ये जफा ..
नंदिता के सरमाये हो तुम...
और क्या रुह-ए-इश्क खता....!!