अब हर दिन दीवाली मनाते हैं
अब हर दिन दीवाली मनाते हैं
हर दिन मनाएंगे अब दीपावली,
हर दुर्भावनाओं से कर खुद को खाली,
जला कर सद्गुणों के दीपक,
बुहार हर स्वार्थ के कीटक,
आशाओं के दीपक जलाकर,
जगमगा देंगे हर मन का कोना,
मिटाकर हर भेदभाव अब,
साकार कर वसुधैव कुटुम्ब का सपना,
बुझे दिलों को अब जगाकर,
हर ओर खुशहाली के दीप जलाते है,
कुछ अब ऐसे काज अपनाकर,
हर दुखिया को खुशियाँ पहुँचाते हैं,
कर अब पटाखों से तौबा,
वातावरण शुद्ध बनाते हैं,
पौधे उपहार में देकर,
दिलों में खुशहाली लाते है,
हर रिश्ते को अब प्रेम से सींचते हैं,
हर हताश के द्वार उम्मीदों का दीप जलाते है,
चलो कुछ नई सोच के संग
अब हर दिन दीवाली मनाते हैं,
अब हर दिन दीवाली मनाते हैं।।
