DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy

आउट डेटेड

आउट डेटेड

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हसीन दिल मुखरित जज्बात लिये फिरती हो

तुम जरा दिल पे हांथ रख के कहो

क्यूं मुझ से आउट डेटेड से बात करती हो।


न चेहरा है न काठी है 

मुझसे बात करना सिर्फ 

वक्त की बरबादी है। 

मौसिक़ी का अलिफ़ बे पे तक नहीं आता जिसको 

उससे शायरी पर सवाल करती हो। 


हसीन दिल मुखरित जज्बात लिये फिरती हो

तुम जरा दिल पे हांथ रख के कहो

क्यूं मुझ से आउट डेटेड से बात करती हो।


तहज़ीब ओ तन्ज़ीम सीखी नहीं जिसने 

तखल्लुस तो बस इक बहाना है 

पाँव उठता है मग़रिब को 

फलॉँग कर दोनों जहाँ शुनइ औ जुनूब के 

पहुँचता हूँ मशरिक़ में।


सऊर जिसको पोशाक पहनने का सिरे से नहीं 

बाल बिखरे हैं बेतरतीब दाढ़ी है 

लाइन माथे पे लिए बे क़ायदा 

कुदरत से जिसने की बे मानी है। 


हसीन दिल मुखरित जज्बात लिये फिरती हो

तुम जरा दिल पे हांथ रख के कहो

क्यूं मुझ से आउट डेटेड से बात करती हो।


आशना ये बशर किसी का हो नहीं सकता 

काम कायेदे का वल्लाह ये कोई कर नहीं सकता 

मुस्कुराता है तो कैसा भोंदू सा लगता है 

बात करता है तो पल पल करवट बदलता है 

ख़ुदा जाने क्या इसको परेशानी है। 


मुझको लगता है कि तुमको समझाना 

और तुमको लगता है कि मुझको समझना 

कोई ना - इलाज़ पुरानी बीमारी है 

वास्ता मुझ से तेरा या तुझसे मेरा 

इल्मों हिकरत जैसी कहानी ख़ानदानी है। 


हसीन दिल मुखरित जज्बात लिये फिरती हो

तुम जरा दिल पे हाथ रख के कहो

क्यूं मुझ से आउट डेटेड से बात करती हो।


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