आपको क्या उपहार दूँ
आपको क्या उपहार दूँ
सूरज आपके लिए रोज नई सुबह ले आये
चंदा हर रात रोशनी बन छाये
कभी लाल, कभी गुलाबी, कभी पीला बन
हर फूल ढेरों रंग बिखराये
बादल अंगड़ाई ले
आपके लिए अमृत धार बरसाये
प्रकृति का कण - कण कहे
आपको खुशियों की भरमार दूँ
आज के इस शुभ दिन पे
मैं आपको क्या उपहार दूँ
अब तक अकेली थी मैं तन्हा
आपने मुझे अपने प्रेम की सौगात दी
अपनापन और सम्मान दिया
सपनों की प्रभात दी
पिता का घर छोड़ मैं आँखों में अश्रु भर लायी
आपने होंठों पर मुस्कान दी
खुशियों वाली हर बात दी
आपके लिए खुशियों का खजाना कभी कम न हो
आपकी आँखें कभी नम न हो
ऐसी दुआएँ आपको हजार दूँ
आज इस शुभ दिन पे मैं आपको क्या उपहार दूँ
अब तक मेरी कोई पहचान नहीं
आपने मेरा अस्तित्व सँवार दिया
कैसी थी अनभिज्ञ हूँ मैं
अब आपने मुझे निखार दिया
माँ की ममता, पिता का संबल छोड़
जिस स्नेह की उम्मीद मुझे थी
आपने उससे भी अधिक प्यार दिया
मुझे अपनी अर्धांगिनी बना
ये जीवन धन्य किया आपने
आपकी अर्धांगिनी बनने के लिए
मैं जन्म बारम - बार लूँ
आज इस शुभ दिन पे मैं आपको क्या उपहार दूँ ।