आपकी ही मर्जी
आपकी ही मर्जी
शादी के रिवाजों में
यूपी की थी यह प्रथा।
दामाद को भी अवसर मिलता
एक रस्म में पूरी करने का।
कुंवर कलेवा में जा करके,
पकड़े सास का पल्लू है।
जब तक मुराद मांगी ना मिले,
छोड़ना ना उसे पल्लू है।
एक पिता ने अपने पुत्र को,
गुणा भाग यह समझाया।
बेटा मांग लाना स्कूटर,
पल्लू रस्म में बतलाया।
ना औकात थी सासू मां की
वह तो गुमसुम बैठी थी।
देख दामाद की नादानी,
रोता मन, मुख हँसती थी।
लोगों ने फिर समधी जी को
मंडप नीचे बुलवाया।
देख बिगड़ती बात पिता ने
बेटे को फिर समझा या।
बोले बेटा क्यों पकड़ा है
पल्लू छोड़ो छुड़वाया।
बेटा बोल उठा मंडप में
पापा मर्जी आपकी थी।
माथे पर आया पसीना
अच्छी खासी सर्दी थी।
