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Meenakshi Kilawat

Tragedy

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Meenakshi Kilawat

Tragedy

आपके इल्ज़ाम

आपके इल्ज़ाम

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आपके नज़रो ने समझा

नफ़रत के काबिल मुझे भी,

नैनों में आसूं तुझे अब तो

नामुमकिन है छोड़ना कभी।


तेरी नफ़रत मिल गई

अब हो गई हासिल मुझे

दो दिलो की आज दूरियां

कर गई शामिल मुझे।


छा गई दिल पर मेरे है

काली ये बदरियॉं

हर घड़ी होने लगी है

सैकड़े कहानियॉं।


आज हमे मंजूर नहीं

आपका ये उलाहना

आपके इल्ज़ाम ने है

कर दिया घायल समा


सह लूंगी मै हर नज़र

उम्रभर की ये सज़ा

मेरी मंजिल दूर है अब

मेरी मंजिल दर्द है।


क्यों तौहिन से डरूँ मैं

मेरा जज़्बा साथ है

आपके इल्ज़ाम का

सिलसिला कुबूल है।


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