आँखे
आँखे
वाह वाह क्या कमाल हैं आँखें
बेइंतहा और बेमिसाल हैं आँखें
पढ़ के देखा आंखों को तो लगा
जवाब भी है जो सवाल हैं आँखें
कहीं समंदर लगी कहीं झील सी
कहीं पर गिद्ध सी कहीं चील सी
कहीं हिरनी जैसी चाल हैं आँखें
वाह वाह क्या कमाल हैं आँखें
कभी प्यार और इकरार करती हैं
कभी इजहार तो इनकार करती हैं
प्रेमी को फंसाने का जाल हैं आँखें
वाह वाह जी क्या कमाल हैं आँखें
कभी सूर्य किरण सी उठती आँखें
और कभी साँझ सी झुकती आँखें
नीली अम्बर सी सूर्य सी लाल हैं आँखें
वाह वाह जी क्या कमाल हैं आँखें
जब से देखी मैंने ये मनोहर आँखें
लगती मुझको नील सरोवर आँखें
देख कर सुन्दरता इन आँखों की
हो गईं मेरी आज निहाल हैं आँखें
वाह वाह जी क्या कमाल हैं आँखें
लगती आँखें ये प्रीतम को प्यारी
आँखें बनी हैं हुस्न की शान न्यारी
देख के धरम भी मोहित हो गए
कहते वाह क्या जमाल हैं आँखें
वाह वाह जी क्या कमाल हैं आँखें