आजकल
आजकल


आजकल देखता नहीं कोई मन,
सब देखते हैं बस धन,
धन से मान मिलता और मिलता है प्यार,
वरना किसी को किसी से नहीं कोई सरोकार,
भावनाओं का बन गया है आज के दौर में बाजार,
प्यार बन के रह गया है सिर्फ़ एक व्यापार,
रिश्ते हो गए हैं आजकल डिजिटल,
औऱ प्यार हो गया है आजकल फिजिकल,
हां आजकल देखता नहींं कोई मन,
सबको चाहिए बस धन,
सिर्फ उसे ही अपना मानना जिसे अपना माने आपकी रूह,
जिसके अहसास मन मे बसे जो वफ़ा करे आपसे जरूर,
सुंदरता के चक्कर मे साफ मन को नहीं करना नज़रअंदाज़,
रिश्ते चाहे कोई भी हो निभाना उसी से जिसका मन हो पाक और साफ़,
हां आजकल देखता नहींं कोई मन,
सब देखते हैं बस धन।