पूछ रहे हैं शुभचिंतक मेरे, क्यों लिखती हो तुम कविता! पूछ रहे हैं शुभचिंतक मेरे, क्यों लिखती हो तुम कविता!
आजकल देखता नही कोई मन, सब देखते हैं बस धन! आजकल देखता नही कोई मन, सब देखते हैं बस धन!