आजादी की लहर
आजादी की लहर
26 चनवरी 1950 की सुबह लेकर आई यह संदेशा,
अब पूर्णत: अंत हुआ जो गुलामी का कसा था शिकंजा,
लहर लहर लहराया तिरंगा राष्ट्रगान की धुन मतवाली,
अंग्रेजों के काले कानून से मुक्त नई इबारत लिख डाली,
झूम उठा धरती अम्बर रंग लाई शहीदों की कुर्बानियां,
विश्वपटल पर अंकित करने को मचल उठी कहानियां,
ऋणी रहेगा भारतवर्ष जो हंसते हंसते फांसी पर झूल गये,
आजादी के मतवाले जो हर जुल्मो सितम को चूम गये,
लहर उठी आजादी की गांव गांव शहर शहर लहराया,
संविधान से मिला जो हक उससे बच्चा बच्चा मुस्काया,
तीन रंग का बना तिरंगा देश की शान का बना प्रतीक,
गरिमा इसकी धूमिल ना हो इतिहास में दर्ज हुई तारीख,
गौरव का पल याद करें हम संग याद करें कीमत आजादी की,
वोटों का जो अधिकार मिला उससे लिखें कहानी नई सुबह की,
देश के प्रति रहें ईमानदार यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजली होगी,
दुश्मन डाल ना सके गंदी नजर माटी की सौगंध खानी होगी,
सोने की चिडिया को फिर से उसका खोया गौरव लौटाना है,
विश्वगुरू बनने की राह को प्रतिदिन और प्रशस्त कर जाना है,
है कसम हमें हे भारत माता तुझ पर आंच नहीं आने देंगे,
अहो भाग्य ! हे भाग्यविधाता चूम धरा को हंसते हंसते जान दे देंगे,
बड़े भाग्य से हैं भारतवासी नाज़ हमें अपनी किस्मत पर है,
राम कृष्ण की पावन धरती नज़र दुश्मन की अस्मत पर है,
जो दर्द हुआ इतिहासों में वो गल्ती ना दोहराया जायेगा,
जन गण मन का गान सदा जन जन के हृदय समाया रहेगा,
करते हैं प्रण ये हम सब अपने अधिकारों का सदुपयोग करेंगे,
कभी जो काबिल नहीं दिखेगा नेता नोटा का उपयोग करेंगे..!