आईना
आईना
तुम आईना हो
तुममें मैं अपना प्रतिबिंब पाती हूँ
मगर मैं भी हूँ पानी,
घोल दो विष, कर दो कसैला
या मीश्री सी मिठास छान दो
मैं घुल जाती हूँ।
बहा दो मुझे समुंदर में
या भर दो सुराही में
मैं ढल जाती हूँ।
रंग दो पीला, हरा, जामुनी
या श्यामवर्ण कर दो मुझे
मैं रंग जाती हूँ।
मगर तुम आईना हो
तुममें मैं
अपना प्रतिबिंब पाती हूँ।।