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Anchor Nehaa Gupta

Drama

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Anchor Nehaa Gupta

Drama

आहटों का बसेरा

आहटों का बसेरा

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आहटों का बसेरा,

होता है बड़ा गहरा,

तुम्हारी यादों की आहट,

आज भी मेरे मन के,

एहसासों से मुझे पुकारती है।


उस पुकार को सुनते-सुनते,

मैं मन के ख्यालों में,

खो जाती हूँ।


लेकिन अब वो ख्याल,

झूठे से लगते है,

क्योंकि अब तुम भी तो,

सच्चे नहीं लगते।


कभी तुम मेरे दरवाजे पर,

बेसबरी से मेरा,

इंतजार करते थे,

अब वहाँ कुछ,

सन्नाटा-सा लगता है।


एक पल को लगता है कि,

तुम मुझे कहीं से देख रहे हो,

लेकिन फिर कानों में,

एक शोर-सा पड़ता है और,

ख्यालों से नींद खुल जाती है।


अब लगता है ये ज़िन्दगी का,

एक खेल-तमाशा था,

जहाँ एक छोटी-सी,

कहानी जन्मी थी।


जो मन के अंतर्मन में,

ऐसे उथल-पुथल करने आई थी,

जैसे मानो मन के आंगन में,

खिले सारे फूल मुरझा दिए हों।


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