मेरे कान्हा
मेरे कान्हा
भक्ति से लेकर विश्वास में,
कट्टी से लेकर मित्रता में,
सिखाने से लेकर सीखने में,
प्यार करने से लेकर प्यार कराने में।
समझाने से लेकर समझने में,
सवालों से लेकर जवाबों में,
रुलाने से लेकर हँसाने में,
कलाकारी से लेकर लीलाओं में।
पागलपंती से लेकर समझदारी में,
हवाओं से लेकर दिल में,
सब में तुम हो कृष्णा।
