मंज़िलों को यूं ना रुखसत कर
मंज़िलों को यूं ना रुखसत कर
मंज़िलों को यूं ना रुखसत कर,
दिल की सुन ज़माने से यूं ना डर,
डरना है तो ख़ुदा से डर,
कुछ करना है तो जी भर के कर,
पर करना वो जो कदमों को ना भटकाए,
भरना वो जो कभी ना जाए,
हां, जाता है एक दिन सब,
पर होता है कुछ अनंत भी,
हां, अनंत जो रहे युगों तक,
हो असीम, हो अपार।