प्यार के खूबसूरत रंग
प्यार के खूबसूरत रंग
तुम साथ होते हो तो हर मुश्किल वक़्त आसान लगता है,
हर लम्बा सफर भी छोटा लगता है,
तुम साथ हो तो मैं पूरी हो जाती हूँ हसीन हो जाती हूँ ,
तुम साथ हो तो घड़ी की सुई भी मुझे तेज़ लगती है,
तुम्हारे साथ होकर तुम्हारा हाथ थाम के
घंटो तुम्हे देखना मेरा बेहद फेवरेट है,
तुम्हारी उंगलियों में खुद की उंगलियों को मिलाना
फिर एक साथ हो जाना भी मेरा कम फेवरेट नहीं,
और मोस्ट फेवरेट तो मेरे दूर जाने पर
तुम्हारा मुझे अपनी ओर खींच लेना लगता है,
दुख मे, सुख मे, जीवन की हर डगर में
बस तुम्हारे साथ होना चाहती हूं,
तुम्हारे साथ होने पर वो जो सुकून
दौड़ते हुए दिल और आत्मा को छूता है
वो कहीं और नहीं, और
उस एहसास का वर्णन शब्दों में नहीं,
इसलिए ये तय है अब जो तुम मुझमे मिल गए हो
उसे अलग करना मुमकिन नहीं,
तुम्हारे शरीर के रोम-रोम से मुझे प्रेम है,
जैसे माँ को अपने बच्चे से होता है और वो प्रेम
मेरे अंतर्मन तक बसा हुआ है जिसे मिटाना मुमकिन नहीं,
जिसे किसी और को देना मुमकिन नहीं,
मुमकिन है तो बस जीवन भर उस प्रेम में जीना,
वक़्त गुज़रेगा, साल बढ़ेंगे, लोग बदलें
नहीं बदलेगा तो वो है मेरी रूह में बसा ये प्रेम,
ये प्रेम स्थायी है, आज है कल भी रहेगा,
इस पूरे शरीर में, आत्मा में वो प्रेम बसता है,
जब भी तुम किसी और के हो जाने की बात करते हो,
तो उस समर्पित आत्मा को ठेस पहुँचती है,
आंसू अपने आप निकलते हैं,
जब तुम मुझे गलत समझते हो तो
उस आत्मा को तकलीफ पहुँचती है,
तकलीफ इस बात की, कि इतने वक़्त साथ होने के बाद भी तुम मुझे समझ ना सके,
मुझे पढ़ ना पाए कि तुम्हारे बिना मुझे पूरा जीवन अकेले गुज़ारना मंज़ूर है,
पर किसी और के साथ जाना नहीं,
हर किसी से लड़कर, हर किसी को बताकर की प्रेम से कोई समझौता नहीं,
फिर तुम कहते हो तुम्हारे बिना मैं ज़्यादा ख़ुश हूँ
तुम साथ नहीं तो क्या दिन क्या रात,
कौन सा ऐसा वक़्त होता है जब मेरी आँखों में तुम्हारी यादें नहीं होती, तुम नहीं होते,
तुम साथ नहीं तो कुछ भी नहीं,
मैं होकर भी नहीं, जीवन चलकर भी नहीं,
बारिशों की आहट नहीं, मौसमों की रौनक नहीं,
तुम साथ नहीं तो सच्ची मुस्कुराहट नहीं,
जीने की कोई चाहत नहीं,
मैं... मैं नहीं, कुछ भी खूबसूरत नहीं,
तुम साथ नहीं तो गले का गले से मिलना नहीं,
धड़कन का धड़कन से जुड़ना नहीं,
तुम नहीं तो कुछ भी नहीं, लेकिन
आत्मा का आत्मा से मिलना हो चुका,
ये मुकम्मल है और रहेगा,
इसीलिए तुम साथ हो तो सब मुकम्मल है, और
नहीं तो सब अधूरा है और अधूरा ही रहेगा,
वो जगह किसी की नहीं, वो हक किसी को नहीं,
मैं तुम्हारी थी.. तुम्हारी हूँ और तुम्हारी ही रहूंगी।