आहट
आहट
तुम्हारी आहट सुनाई दी है,
क्या तुम आये हो वापस
मुझे प्यार देने..
चौक जाती हूँ
ज्यूँ ही दस्तक
होती है दरवाजे पर,
लगने लगता है तुम हो
फिर सोचती हूँ
तुम होते तो
इतनी देर न करते
अंदर आने में..
और तुम तो कभी
शांत ही नहीं रहते थे
अंदर घुसते ही
तमाम दिन की बातें
बताए चलते थे..
पता है आज ये हुआ
पता है आज वो मिला
और न जाने कितनी बातें..
फिर लगता है
हो सकता है
तुम बदल गए हो शायद
अब तुम्हारी पहले जैसी
आदतें न रही हों..
फिर सोचती हूँ
शायद क्या
तुम तो सचमुच
ही बदल गए हो
वरना कोई किसी को
इतना चाहने के बाद
कभी इस तरह से भी
छोड़ सकता है क्या भला..
ऐसा मेरे साथ आज ही
नहीं हो रहा
सुनो, जब से गये हो
हर पल, हर दिन
हर वक़्त
सिर्फ दरवाजे पर ही नज़र
रहती है और
कान खामोशी से
सिर्फ आहट सुनते हैं,
तुम्हारे आने की आहट..