STORYMIRROR

Madhu Vashishta

Romance Action Inspirational

4  

Madhu Vashishta

Romance Action Inspirational

आ गई बहार

आ गई बहार

1 min
43

आ गई बहार

चली है सुगंधित बयार

फूल भी अब मुस्कुराने लगे हैं

पंछी भी तो चहचहाने लगे हैं

मौसम में देखो आया है कैसा निखार।


शरद में जो पंछी सिकुड़ के बैठे थे।

आई बहार तो चहचहाने लगे हैं।

मन ही मन हम भी तो मुस्कान आने लगे हैं।

बगिया में फिर से अब जाने लगे हैं।


सजी हुई है फूलों की बगिया है

हाथों में गुलदस्ता भी है तैयार।

किसी अनजाने की रह रह कर मन करता है इंतज़ार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance