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Twinckle Adwani

Abstract Inspirational Children

4  

Twinckle Adwani

Abstract Inspirational Children

तिनके को साथ

तिनके को साथ

15 mins
250


फूलों से सजा गार्डन हर तरफ चहल-पहल संगीत की धुन में नाचते गाते लोग एक अपनेपन का माहौल सुंदर सजी खूबसूरत सी लड़कियों की एक टोली ,बातों में मशगूल है डांस करते रिश्तेदार कभी सहेलियां ,कभी नए तो कभी पुराने गाने बज रहे ह मां के चेहरे में बेटी की विदाई सोचकर आंसू आते हैं कभी सबको खुश देख कर नजर उतारती दादी, लेडीज संगीत की जगमगाती शाम में सब बहुत खुश हैं अगले दिन शादी, यूं ही 2 दिन बीत गए हम जाने की तैयारी कर रहे हैं कोई घर तो कोई अपने गांव में और उसकी बेटी की शादी थी मगर ऐसा लगा ही नहीं मुझे कि किसी और की शादी है बातें गंगा अपने काम वाली बाई से कर रही थी राधा से बहुत बोलती है राधा , मैं गांव क्या गए आपने तो अकेले शादी का मजा ले लियापीछे से मुझे पता होता तो मैं गांव ही नहीं जाती अच्छा तो 3 दिन आप लोग घर में ही नहीं बस पड़ोस में गार्डन में शादियों का मजा ले रहे थे तू भी आ जाती कौन मना किया था अब रेशमा की शादी करेंगे ना तो तू कहीं नहीं जाना हां हां मैं कहीं नहीं जाऊंगी पूरा काम तो मेरे को ही करना है ना हां मेरी मां तू ही करना|

रेशमा सुन रही थी और हंस रही थी गंगा कहती है तू क्यों हंस रही है सही तो कह रही है अब तेरी शादी करनी है तू बड़ी हो गई है तेरी लड़का ढूंढना शुरू कर दिया है, रमा ने वो जो आप के साथ स्कूल में पढ़ाती है हां वही. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है अभी नहीं मैं मीटिंग में जा रही हूं ऑफिस से लेट आऊंगी फिर बातें करते हैं रेशमा कहती थी चली गई और इस बीच मां को अटैक आता है वह भागती हुई ऑफिस से हॉस्पिटल पहुंचती है मां को पड़ोसियों की मदद से राधा हॉस्पिटल ले जाती है रेशमा मां को इस हालात में देखकर बहुत रोती है| पहली बार रेशमा को रिश्तो की कमी खलती है |मगर पड़ोसी भी किसी रिश्तेदार से कम नहीं और मदद में हमेशा आगे रहते हैं| 2 दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद मां की हालत में सुधार होता है और पड़ोसी बड़ी मदद करते हैं मगर रेशमा को उनकी चिंता लगी रहती है कभी उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती इसलिए आस पड़ोस की आंटी ने कभी कोई उनके साथ आ कर बैठी रहती है नहीं तो आकर उन्हें देख कर चले जाती हैं रेशमा को मां की हर वक्त चिंता लगी रहती है वह मां को हर समय खुश करने की कोशिश करती है मगर वह दोनों जानते हैं जीवन में कुछ कमी है

रेशमा ने कुछ दिनों की छुट्टी ली थी और उसका काम बहुत बढ़ गया था कुछ दिनों बाद वह ऑफिस जल्दी जाती है| अपनी एक फ्रेंड को बताती है कि आज पड़ोस की एक आंटी खाना बना कर ले आई वह मम्मी की बहुत अच्छी फ्रेंड है बहुत टेस्टी खाना बनाया था उन्होंने साउथ इंडियन है ना . बहुत टेस्टी इडली बनाई थी वह भी अकेली है कभी-कभी खाना बनाकर हमारे यहां ले आती हैं और हम साथ मिलकर खाते हैं हमारे पड़ोसी एक परिवार की तरह हैं हम सब साथ स्कूल जाते थे कभी मूवी तो कभी मिलते हो कभी किसी रिश्तेदार की कमी नहीं लगने दी मुझे अंकल आंटी भैया भाभी सहेलियां चाचा दादा बहुत सारे रिश्तेदार हैं हैं खास बात है ज्यादातर सिंधी हैै उनमें अपनेपन की एक अलग ही मिठास होती है| हम सब मिलकर त्यौहार साथ में मनाते हैं सबसे ज्यादा मजा तो हमें नवरात्रि में आता है हम सब 9 दिन डांडिया खेलते हैं दुर्गा देखने जाते हैं बहुत मजा आता है सारे दोस्त मिलते हैं कॉलेज के स्कूल के ऑफिस के लोग सच में मुझे बेसब्री से नवरात्रि का इंतजार रहता है शायद यही ही बड़ा कारण है जिसके कारण हम इतने सालों से खुद को मजबूत बनाए रखा है लोगों का प्यार ,अपनापन विश्वास मेरी मां ने अपनी मेहनत से मुझे हर चीज दिलाई है जो शायद एक पापा की जिम्मेदारी होती है|

ऑफिस में काम के बीच बातें करते देख कर सर उन्हेंघूरते है |

और दोनों हंस कर अपने काम में लग जाती है|

गंगा बालकनी में खड़ी सोचती है आज जीवन के 26 साल हो गए शादी को जीवन की एक भूल ने मेरा ही नहीं औरों का भी घर, सपने उजाड़ दिए सच में प्यार अंधा होता है मैंने सलीम से बहुत प्यार किया मुझे वह एक सच्चा और अच्छा इंसान लगा मगर वह मुझे बीच मझधार में छोड़ कर चला गया जिसके कारण मैंने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और मेरी बेटी ने भी, शादी के कुछ सालों बाद उसे नशे की आदत हो गई थी मगर वह इस कदर नशे का आदी होगा कि मुझे छोड़कर चला जाएगा मैं नहीं जानती थी कहते हैं कि वह नशे के कारण जेल में  भी गया मैंने उसे सुधारने की बहुत कोशिश की मगर वह नहीं सुधरा और नशे के कारण एक दिन ट्रक के नीचे आ गया और मर गया यह बात मुझे याद कर करके अफसोस होता है और इस बात को रेशमा को नहीं बताना चाहती मैं नहीं चाहती कि उसके पिता के नाम पर छवि खराब हो पिता शब्द से नफरत करें| उसके प्यार में मैंने न जाने कितने झूठ बोले वह हमारे पड़ोस में ही रहता था और मेरा बहुत बड़ा परिवार था बहुत बड़ा घर से लोग हवेली कहते थे किसी न किसी बहाने मैं उससे मिलने निकल जाती और एक दोस्त से बढ़कर हमसफ़र बनने लगा हम कभी नदी के किनारे तो कभी गार्डन में कभी खेतों में

किसी न किसी बहाने मिलते

एक दिन भाई ने हमें साथ देख लिया उस जमाने में इतनी हिम्मत शायदकिसी लड़की में होगी आज की तरह नहीं था वह जमाना ... जहां हाथ पकड़ कर घूमें, फोटो खिंचाए पहली बार मैं जीवन में इतना डरी कि भाई से नजरें नहीं मिल पाई घर में यह बात सिर्फ भाई को ही पता थी और वह मेरे लिए रिश्ता ढूंढने लगे उन्होंने एक लड़का पसंद कर लिया घर में सब शांत है मगर मैं मन में मैं बहुतअशांत ,बेचैन रहने लगी मुझे लगता था मैं समीर के बिना नहीं रह पाऊंगी कुछ दिनों तक हम छत में रात को मिलने लगे फिर 1 दिन मौका देख कर मैं उसके साथ भाग गई उसने साथ जीने मरने की कसमें खाई है मगर मुझे उसने ना सम्मान दिया ना ही साथ

 डोर बेल बजती है और कुछ मेहमान मिलने आते हैं यह वही लोग हैं जो गंगा के साथ स्कूल में पढ़ाते हैं कुछ महिलाएं कुछ सीनियर को जूनियर उसका हालचाल पूछने आते हैं

रेशमा ऑफिस में है और आस्था पूछती है तुमने मुझे बताया नहीं कि आंटी की तबीयत खराब है और रेशमा कहती है नहीं नहीं मम्मी की तबीयत ठीक थी अचानक अटैक आ गया वह बहुत टेंशन लेती है कुछ बातों का तुम्हें तो पता है ना ,कुछ महीनों पहले मम्मी दरबार गई थी आस्था- दरबार में .अरे वह चकरभाटा में उनके गुरु का दरबार झूलेलाल जी का झूलेलाल साईं का दरबार तुम्हें याद है एक बार रिपोर्टिंग के लिए गए थे अरे हां हां सब जूनियर सीनियर को ट्रेनिंग के लिए ले गए थे ना ,हां हां वही .हां वही मम्मी वहां दरबार गई थी ज्योत जलाने उन्हें उनके कुछ पुराने पहचान के लोग मिल गए जो उन्हें उल्टा-सीधा सुनाने लगे और उन्हें देखकर एक आंटी कहने लगी यह वही है जिसने 26 साल पहले लव मैरिज एक मुस्लिम लड़के के साथ भागकर की थी सिंधियों का नाम खराब करने वाली पहली लड़की होगी सब महिलाएं उन्हें घूर घूर कर देखने लगी अपने आस पास बैठे लोग अजीत नजरों से देख रहे थे एक पड़ोस वाली आंटी उन्हें अपनी बेटी की पढ़ाई छुड़ाने का दोषी कहने लगी कहती है इसके कारण मेरी बेटी के पापा ने उसे आगे पढ़ने नहीं दिया उसकी शादी जल्दी करा दी न जाने क्या क्या कहने लगी मां को अक्सर बहुत कुछ सुनना पड़ता है शायद इसलिए वह बहुत ज्यादा परेशान थी दिल में भरी बातें दबा कर रखती है ना कहते हैं ना दिल खोलो दोस्तों के सामने न पड़ेगी जरूरत खोलने डॉक्टर के सामने मगर मां ना बहुत सी बातें किसी से शेयर नहीं कर पाती ,गई थी ज्योत जलाने चालीहे में मगर दिल में दर्द लेकर आ गई सबसे बड़ी चुप चुप थी उनके जीवन में इतना अकेलापन है ना फिर लोगों के ताने ने बहुत बहुत दुखी कर देते हैं

अगले दिन रेशमा आस्था ऑफिस में मिलते हैं आस्था अपने छुट्टी के लिए बताती है कि मैं नानी के यहां शादी में जा रही हूं रेशमा मन में सोचती है कि मैं कभी अपनी नानी के घर ही नहीं गई कई बार खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं हम रिश्तो के बिना रेशमा घर में मां को बताती है आस्था छुट्टी मिल गई है उसके मामा के बेटे की शादी है कल से काम ज्यादा होगा कहां क्यों मां को बताती है और मां सोचती है कि मेरे जीवन की गलतियों की सजा इतनी बड़ी है कि मेरी बेटी भी अपने कई रिश्तो से दूर है वह आज तक अपनी नानी के घर नहीं गई ना कभी मामा मामी ने उसे याद भी नही किया ना कोई चाचा-चाची है इतने प्यारे मीठे रिश्तो से दूर ही है वह बचपन से कितने रिश्तो से दूर है मां मन ही मन रेशमा के लिए बहुत कुछ सोचती है और यूं ही रात में खाना खाकर बातों ही बातों में हंसी मजाक करते सो जाते हैं कुछ दिनों बाद राखी है और बाजार रखियों से सजने लगा है गंगा हर साल भाइयों को राखी मैं बहुत याद करती मगर गंगा की शादी से सब इतने नाराज थे कि कभी किसी ने सालों साल तक कोई खबर ही नहीं ली वह किस हाल में है कहां है , मगर गंगा केसब की खबर रहती थी केवल गंगा की मां ही थी जो उससे मिलने चुपके से कभी न कभी घर आती थी और घर की हर बात से बताती थी वह चाहते हुए भी कई बार वह कई बार अपनों से जुड़ नहीं पाई मगर गंगा सब से जुड़ी रही,दिल से .और रेशमा उनसे जाने अनजाने कभी ट्यूशन कभी स्कूल कॉलेज की फ्रेंड की तरह जुड़ी रही और तो बहुत से रिश्ते ही Facebook पर बनने लगे हैं औररेशमा भी मां को सब के बारे में बताती Facebook में सब की फोटो दिखाती थी जिसे देख कर मैं बहुत खुश होती थी| गंगा रेशमा को बार-बार पता थी एक मां ने मुझे माफ किया उसे दिलो जान से चाहती थी उम्र के इस पड़ाव में भी हो चुपके से किसी न किसी बहाने घर से निकल कर उससे मिलने जरूर आती थी कभी पैसे कभी फल फ्रूट और ढेर सारा आशीर्वाद दे जाती थी मगर कभी पति के डर से गंगा को घर पर नहीं बुलाया सच में एक मां ही है जो बेटी की चिंता करती है शायद मां बेटी का रिश्ता ही ऐसा है

अगले दिन गंगा और रेशमा अपने-अपने काम पर निकल जाते हैं और गंगा स्कूल से आकर पहले मकान मालिक को के पैसे देती है और रेशमा कहती है क्या कुछ दिन लेट दे देंगे और गंगा कहती है नहीं नहीं और इसमें जब ऑफिस से आती है तो मां को कहती है मां आज मुझे सैलरी नहीं मिली जल्दी हम उन्हें बाद में किराया देंगे मगर गंगा कहती है मैंने दे दी, रेशमा कहती है अगर हम देर से भी देंगे तो क्या फर्क पड़ता है वह हमारे अच्छे दोस्त हैं मगर गंगा कहती है नहीं पैसे तो देने हैं समय पर देने से इज्जत बनी रहती है और लोगों की फालतू की दया मत लो दया दिखाने घर आ जाया करेंगे समझी

मां तुमने खाना नहीं खाया नहीं नहीं मेरा आज व्रत है वह चालिहा तो मतलब आप फिर दरबार जाओगी ,तुम भी चलना दरबार काफी बदल गया है दूर से दूर-दूर से लोग आते हैं इतना भव्य सुंदर है तुम संडे को साथ चलना हम घूम कर आएंगे आप कब गई थी उसे बदले तो कुछ महीने हो गए हैं मैं 6 महीने पहले गई थी उस दिन गोलू की मम्मी बता रही थी रेशमा मन में सोचती है मां लोगों की इतनी कड़वी बातें सुनने के बाद भी आज भी अपनी भाषा और संस्कृति त्योहारों से इतना प्यार करती है कि उसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर पा रही 

रेशमा ऑफिस में अपनी सहेलियों के साथ है लंच टाइम है और मस्ती चल रही है और रेशमा गाना गाती है "सिंधी असाजी बोली मिठरी असाजीबोली " रेशमा गाना गाती है और उसकी एक सिंधी फ्रेंड कहती है अरे यह तो सिंधी गाना है तुम्हें कैसे आता है रेशमा बताती है मां ने मुझे  सिंधी गाना सिखाया था जब गाती हूं तो मां खुश हो जाती है |

गरिमा पूछती है क्या तुम्हें सिंधी आती है ? बात कर सकती हो ?हां कभी-कभी करती हूं, मेरी सिंधी बहुत अच्छी है गरिमा तभी तुम्हें सर सिंधी समाज के प्रोग्राम में रिपोर्टिंग के लिए भेज देते हैं

हां, रेशमा

काम आसान हो जाता है| ऑफिस के बाद सब  कॉफी पीने एक होटल जाते हैं कुछ नई सहेलियां एक दूसरे के परिवारों के बारे में पूछते हैं और गरिमा रेशमा से पूछती है बातों बातों में तुम्हारे पापा क्या करते हैं रेशमा हड़बड़ा जाती है वह बता नहीं पाती कुछ देर बाद वो कहती है जब मैं छोटी थी तब पापा छोड़ कर चले गए जब मैं छोटी थी तब मेरे पापा के कैंसर से मौत हो गई लेकिन जब वह जिंदा थे तो भी उन्होंने मां को प्यार और सम्मान नही दिया जिसकी वह हकदार थी सब कहते हैं अपने लेवल के लोगों से और अपने कासट में ही शादी करनी चाहिए

(फ्रेंड)रतना- हां हर कोई एक जैसा नहीं होता मेरी मां ने लव मैरिज हमारी फैमिली हैप्पी फैमिली है डिपेंड करता है लोगों की सोचपर

हां लेकिन मेरे पापाऔर मम्मी की सोच बहुत फर्क था फासला बहुत ज्यादा था सोच का ,विचार का पापा को शादी के कुछ सालों बाद नशे की बहुत आदत हो गई इतनी ज्यादा की मम्मी को मारते पीटते थे और जितने पैसे कमाओ सब नशे में उड़ा देते हैं कई बार कई लोगों ने समझाने की कोशिश की मगर मैं नहीं बदले एक दिन नशे की हालत में वह एक ट्रक एक्सीडेंट में चल बसे मगर शादी कितने साल बाद वह मम्मी के साथ थे मम्मी को शायद ही कभी खुश रखा

आस्था --औरों का तो नहीं पता लेकिन आजकल दिखावा भी बहुत हो गया है लोग इसे अपना स्टेट सिंबल मानते हैं तुम्हें याद है कॉलेज के पार्टी में क्या हुआ था हां यार याद आजकल दिखावा भी बहुत हो गया है लोग इसे अपना स्टेट सिंबल मानते हैं तुम्हें लगता है आस्था नशा बहुत बुरा है न जाने कितने परिवार टूटते हैं कितने लोग मरते हैं फिर भी नशा बंद नहीं होता और तुम इस इस पर नेशनल आर्टिकल लिखो गुड आईडिया कॉलेज के पार्टी में क्या हुआ था हां यार याद है मुझे

तुम बताओ ,इस नई जॉब में मजा आ रहा है गरिमा अरे बहुत हम लोग फोन कर करके बधाई देते हैं मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है और जिसकी फोटो आती है वह तो मुझे स्पेशली फोन करते है गरिमा, रेशमा तुम्हारा घर कैसे चलता है रेशमा ममी  टीचर है शादी के बाद जब पापा नहीं रहे तो सिलाई करके मम्मी घर चलाती थी और आगे की पढ़ाई की उनकी नौकरी स्कूल में लग गई थी मां ने मां को मैंने हमेशा एक कटे हुए पेड़ की तरह अकेला देख रहा है उन्हें अपनी भाषा व संस्कृति इतना प्यार है कि वह सिंधी है कभी लगता ही नहीं कि मुस्लिम काफी बातें हो गई घर जाने में देर हो गई है बार-बार कहती है घर से फोन आने लगता है और सब घर जाने लगते हैं और राखी की छुट्टियों में क्या करेंगे कौन सी मूवी जाएंगे बातें करते हैं रेशमा घर पहुंचती है और अगले दिन सुबह TV में राखी के गाने सुबह से आते हैं गंगा राखी के दिन अपने भाइयों को बहुत याद करती है आज राखी हैै अचानक डोर बेल बजती है और गंगा दरवाजा खोल कर हैरान हो जाती है उसका छोटा भाई विजय रहता है और राखी का तूने मुझे सबसे बड़ा तोहफा दिया गंगा कहती है इतने साल बाद रेशमा मामा जी को पहली बार देखती है रेशमा खुशी होती चलो कोई तो मम्मी को याद किया

रेशमा एक सुंदर सी राखी की थाली सजा कर लेकर आती है जिसमें गंगा की खरीदी हुई सुंदर सी राखियां है जिसे वह खरीद कर रो रही थी कुछ दिन पहले ..और रूम में मामा और मम्मी की बातें खत्म ही नहीं होती ना आंसू रुकते या खुशी इसे देखकर रेशमा बहुत हैरान होती है और कहती है अब आप लोग कुछ खा पी लो नाश्ता बन गया है और गर्म-गर्म दाल पकवान लाती है जिसे देख कर विजय कहता है अरे रितु सिंधी लोगों का नाश्ता है तो रेशमा कहती है हम सिंधी ही तो है| हां गंगा भी कहती है |विजय मन में सोचता है कि हम क्यों ना रेशमा के लिए एक सिंधी लड़का ही ढूंढें।

गंगा- विजय तू क्या सोच रहा है कुछ नहीं दीदी

गंगा- अब रेशमा बड़ी हो गई सारा काम संभाल लेती इसके लिए लड़का ढूंढ़।

बड़ी जल्दी है भगाने कि रेशमा. बहुत सालों बाद ही सही गंगा के कुछ अपने उससे जुड़े वह इतनी खुश है के दूसरे दिन मिठाई बढ़ती है और कई बार विजय रेशमा के ऑफिस किसने किसी काम से आते हैं और उससे मिलते हैं उसका बायोडाटा बनवाते हैं और उसके लिए एक लड़का ढूंढते हैं जिसमें से कई बार पूछ लेते हैं कि तुम सच में सिंधी से परिवार में जाना चाहती हो और रेशमा उनकी बात बड़े ध्यान से सुन कर हंसती है और कहती है "मैं सिंधी तो हूं. " कुछ दिनों बाद विजय एक लड़का पसंद करते हैं और वह रेशमा को को देखने आते हैं जब गंगा क उस व्यक्ति को देखती है जो लड़के के पापा है तो देख कर हैरान हो जाती है यह वही लड़का है जो उसके  नाना ने गंगा के लिए पसंद क्या था उसे लड़के का बेटा है जब गंगा उसे देखती है तो पहचान जाती है और वह खुद भी मगर वह इस बात को नहीं कहते एक दूसरे को जब गंगा शादी की थी पर विजय की उम्र 14 15 साल रही होगी शायद उसे यह बात पता भी नहीं यह वही लड़का है जब रेशमा और लड़की की आपस में बात होती है कुछ देर के बाहर बैठे रहते हैं और लड़की के पापा कहते हैं जो तुम्हें सही लगा उस समय तुमने किया और अब मुझे जो सही लगेगा वह मैं करूंगा और कुछ दिनों बाद दोनों परिवार एक हो जाते हैं बड़े धूमधाम से रेशमा की शादी होती है मगर अब गंगा अकेली है वह चौराहे पर एक एक्सीडेंट देखती है उसे बड़ी टीस  होती है एक बच्चा नशे की हालत में जा रहा था और उसे नशे के कारण गाड़ी दिखाई नहीं दी और वह मर जाता है कुछ दिनों बाद वह अख़बारों में भी खबरें पड़ती है नशे की लत से कई मौतें उसे मन में यह विचार आता है कि नशा वाकई लोगों के जीवन को बहुत खराब करता है वह अपने स्तर पर इसमें सुधार की कोशिश करें और वह रेशमा से इस विषय में बात करती है कुछ दिनों बाद कई संस्थाओं से मिलकर व परिवार में जा-जाकर समझाती है जिसके परिणाम स्वरुप कई गांव व शहर में स्थिति में सुधार होता है हर स्कूल-कॉलेज सामाजिक संस्थाओं में इस पर बैन लगती है शायद सलीम की आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि गंगा ने दी।


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