अपमान
अपमान
अरे इतने ध्यान से क्या बात कर रहे थे तुम
मैं इतनी देर से सारे काम निपटा ली, तुम अभी तक फोन में ही बात कर रहे थे
हां मेरे प्रिय दोस्त शर्मा जी थे क्या हुआ शर्मा जी को लेकर तुम क्यों इतने परेशान हो
शर्मा जी के बेटे ने उन्हें अलग कर दिया
दोनों भाई मानो दुश्मन की तरह रहते हैं.... दिलीप, विनय....हां
अरे नहीं वह दोनों तो बहुत पढ़े लिखे है समझदार बच्चे हैं बच्चे समझदार है मगर जमाने की हवा लग गई जमानाबहुत खराब है ...।नहीं सोच खराब है.... मतलब ,मैं हमेशा कहती हूं हर बच्चा एक सा नहीं होता एक तो हमेशा तुलना करते हैं और छोटे के सामने बड़ों को डांटते हैं उनका अपमान करते हैं तो यह क्या कह रही हो ......मैं साइकोलॉजी. की ...... हां
कभी किसी की छोटी के सामने बड़ोका अपमान नहीं करना चाहिए उसका आत्मविश्वास कम करता है वह उसके अंदर द्वेष भावना पनपती है जो कभी न कभी एक घातक रूप ले लेती है। जिसके कारण बड़े छोटो पर हाथ उठाते हैं या कोई अपराध का कारण बनते हैं (क्योंकि हमेशा छोटो की तारीफ वा तुलना उन्हें गलत भावना पैदा करती है).... हां हो सकता है ....इसलिए हमेशा कोई बात उन्हें समझाना है तो अलग से समझाइए .....छोटे के सामने बड़े का अपमान न कीजिए और जहां तक अकेले रहने की बात है उनके व्यवहार व परिवर्तन को स्वीकार नही किया..... सही कह रही हो तुम भावनाओं को न समझना भी हमारी दुख का कारण होता है।
अक्सर वो लोगों के सामने बड़े को डाटते ही हैं अभी भी पूरे टाइम दोनों की तुलना ही करते रहे कल मैं उनसे बात करती हूं जीवन की एक छोटी सी बात है मगर इतना गंभीर प्रभाव डालती है ना...
सच में छोटे-छोटी पारिवारिक और व्यवहारिक बातें जो सिखाई गई है बचपन से, मगर आधुनिकता की होड़ में हम बहुत कुछ भूल गए हैं और जमाने को दोष देने लगे.....