परिवर्तन
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खिड़की से बाहर निहार रही सपना कहीं बच्चों को पटाखे फोड़ते तो कहीं महिलाएं रंगोली डालते देख .... हर किसी का घर दियों तो कहीं लाईट से जगमगा रहा था मन ही मन अपने धर्म बदलने का दुख महसूस कर रही थी ।शाम से रात होने लगी घरो से शंख आरती की आवाज़ें आने लगी कुछ ही देर बाद महिलाओं की टोली निकली जो सबकी रंगोली देखती ,सबको बधाइयां देती ,मुंह मीठा करते ,जय श्री कृष्णा कहते बढती जा रही थी।
डोर बेल बजते ही सपना नीचे जाती है सब बधाइयां देते ,मुंह मीठा करा रहे थे सपना उनकी टोली मे शामिल होकर आगे बढती जा रही थी,मानो बेड़ियाँ तोड़ आगे ...... बालकनी मे खडा विनोद कुछ न कर सका
शुभ दिपावली कहकर बच्चों की टोली पीछे .....
