अंतरात्मा
अंतरात्मा


तीन दिनों कि तेज बारिश मे लोगों को बेहाल कर दिया ,रामु का परिवार न रहा ,जानवर भी मर रहे थे बाढ मे आज लाशों का ढेर देखकर राम दुखी तो था मगर गरीबी और भुखमरी से परेशान भी ... सोच रहा था कि उसे लाशों के बीच सोने की अंगूठी ,कान की बाली दिखी। हवाई जहाज से कुछ लोगों व लाशो को भी सुरक्षित जगह पहुंचाया जा रहा था
धीरे-धीरे आगे बढ़ा मगर उसकी अंतरात्मा से गवाही ना दी, उस नाकामयाब कोशिश की उलटे कदमों से वापस आया था पीछे मुड़ते ही उसे पुलिस वाले खडे थे ।
पुलिस वालों की मदद कर लोगों की पहचान की,कुछ खाने के पैकेट मिले ,कुछ बच्चों को खिलाकर उसने सभी लाशो को बाहर निकाला, सुरक्षा कैम्पों मे उसने लोगों कि बहुत सेवा की ,धीरे धीरे परिस्थिति समान्य होने लगी रोजगार के नए अवसर मिले फिर भी शरणार्थी कैम्प मे सेवा देता जिन परिवार मे केवल वृद्ध थे वो वही थे ।एक निस्वार्थ बेटे की तरह सेवा मे लगा रहा उसकी इस बहादुरी व सेवा के चलते उसे सम्मानित किया गयाउसे मन मे एक असीम शातिं मिली ,क्योंकि उसने अपनी अंतर आत्मा की बात जो सुनी थी.