बरसात
बरसात
सीमा बात तो करो
इस तरह नाराज क्यों हो ...
कितने बार कहा लालच मत करो..हर काम ईमानदारी से करना चाहिए
तुम्हें तो पैसों के आगे कुछ नहीं दिखता हैँ. क्या कमी है तुम्हें इस तरह की बेईमानी करते हो सब कुछ तो ईश्वर ने तुम्हें दिया है मैं तो माफ कर दूंगी मगर उन 25 बच्चों व मां बाप का क्या...
बच्चों का क्या जो तुम्हारे कारण ...
एक इंजीनियरों होकर ऐसा पुल बनाया जो बरसात आते ही..
तुम गलत समझ रही हो नहीं मैंने तुम्हें बात करते सुना है हां अगर मैंने कोई सामान मिलावट नहीं की
पहले भी कई पुल गांव में टूटे हैं कई जगह लोगों की जानें गई है ।वह तुमने नहीं बनाया
किसी और ने बनाए थे।
यही तो बात समझाना चाहता हूं कि मैंने बनाया मगर मैंने मिलावट नहीं की मैंने कोई बेईमानी नहीं की ,रही पैसों की बात तो इंसानियत के आगे धन दौलत भी मेरे लिए भी छोटे हैं ।
चलो अस्पताल बच्चों से मिलाते हैं ।
सीमा, बरसात दोषी है आप मैं नहीं जानती
मगर पुल से गिरे उन बच्चों को कुछ नहीं होना चाहिए।
सीमा जल्दी चलो, बरसात बंद हो चुकी है।