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sunanda aswal

Abstract Inspirational

4.4  

sunanda aswal

Abstract Inspirational

राज दिव्यज्ञान नारंगी का

राज दिव्यज्ञान नारंगी का

2 mins
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दीपावली आने को थी ..सभी ओर खुशहाली प्रकाशित हो रही थी। रंग बिरंगी रंगोलियां, फानुस,पटाखे, दीए, मोमबत्तियां, बर्तन, लक्ष्मी -गणेश जी की मूर्तियां दुकानों पर सजे थे ..।


एक दुकान देखकर मैं चौंका, मैंने देखा उस दुकान में सभी कुछ नारंगी रंग का सामान था, दीए, मोमबत्तियां, लाइट और यहां तक की बाहर लगा बोर्ड .. दुकान के बोर्ड पर लिखा था " 


ये नारंगी संतरी दुनिया, दीए - मोमबत्तियां,

रंग बिरंगी रंगोलियां ,

ज्ञान की बतिया,

भोर में खिली कलियां, 

ईश्वरीय शक्तियां,

प्राप्त सिद्धियां,

काम की सुक्तियां ..।"


कुछ अटपटी दुकान और उसमें इतना कुछ लिखा था, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह आखिर क्या है, यह कौन सा अद्भुत दुकान का दृश्य है जो मैंने अपने जीवन में पहली बार देखा था .. फिर भी जिज्ञासु वश मैंने वहां से दीए और मोमबत्तियां और लाइटें वहां से खरीदने का विचार किया ..। 


मैं दुकान दार से अपना वो सामान देने को कहा तो देखता हूं कि दुकानदार ने नारंगी रंग के वस्त्र पहने हुए थे, मैंने पूछा, "---भाई आपकी अद्भुत दुकान है ... यहां सब कुछ नारंगी और संतरे की तरह है ...बड़ा ही आकर्षण का केंद्र है .. आपने ऐसी दुकान खोलने का आपका मकसद क्या है ? स्पष्ट नहीं है ..।"


दुकानदार ने कहा, "--भाई मेरे इसका एक राज है ...।"


मैंने कहा, "--कैसा राज ..?"

दुकानदार ने संयत होकर कहा, "--यह प्रतिस्पर्धा का युग है साहब ..। बड़े बड़े इश्तहार हम जैसे छोटे मोटे दुकानदार नहीं लगा सकते हैं ..। आपको पता है हमारी रोजी ऑनलाइन मार्केटिंग की वजह से बिल्कुल पिट रही है, ऐसी स्थिति में ऐसे अलग तरह के रचनात्मक कार्य प्रेरित होते हैं .. परिवार पालना है साहब, इन बड़ी बड़ी मछलियों के बीच छोटी मछलियां भी जिंदा रहनी चाहिए ना ..।"


उसके नारंगी प्रकाश के ज्ञान से मैं बहुत प्रभावित हुआ .. उसके ज्ञान का स्तर बहुत ही ऊंचा था।

उसका राज मैं जान चुका था, अब उसका नाम जानने की मुझे प्रबल उत्कंठा हुई ..।

 

मैंने पूछा, "--आपका नाम ?"

दुकानदार ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "---संत ...रा....।"

मैं हंसा मैंने कहा, "---ओहह ..तो मोहल्ला,घर ..?"

"नारंग निवास.!" उसका संक्षिप्त जवाब था ..। 


यह राज मुझे ही पता था, बाकी यदि आपको

उसका राज जानना है तो छोटे दुकानदारों की अवहेलना ना करें ..। ऑनलाइन तो बड़े बड़े पूंजीपतियों की पूंजी हैं, इस दीवाली सड़क के किनारे की दुकानों से भी कुछ खरीद लें ताकि, वे भी एक सुंदर दीवाली मना पाएं ..।


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