निसर्ग (अभंग)
निसर्ग (अभंग)
निसर्ग (अभंग)
मना मोहविते। नभाची निळाई।।
नवी नवलाई। निसर्गाची।।१।।
इंद्रधनूष्याची। कमान शोभते।।
खुलून दिसते। सप्तरंगी।।२।।
फुले गवताची। साजरी गोजिरी।।
तुळस मंजिरी। शोभतसे।।३।।
सरी श्रावणाच्या। सरसर येती।
हिरवी करती। वनराई।।४।।
सूर्याचे किरण। हळू डोकावती।।
उष्मा देत जाती। सकलांशी।।५।।
सृष्टीमध्ये साऱ्या। हिरवळ दाटे।।
मना हर्ष वाटे। अत्याधिक।।६।।
हिवाळा, उन्हाळा। तथा पावसाळा।।
दावी नाना कळा। ऋतू तिन्ही।।७।।