रिश्ते
रिश्ते
रिश्तों की पोटली आज मैं खोल लूँ
जो ख़फा मुझसे उनसे मैं कुछ बोल लूँ।
कौन है इसमें ये ढूंढ लूँ मैं जरा
मेरी कीमत है क्या ? आज ये तोल लूँ।
खून के रिश्तों से बनती मेरी ग़ज़ल
सारे रिश्तों का मैं बोलो क्या मोल लूँ ?
साथियों एक रिश्ता मिला दोस्ती,
जिसकी कीमत हमेशा मैं अनमोल लूँ।
ख़ार बेवजह जो मुझसे खाये हुए,
प्यार की चाशनी में उन्हें घोल लूँ।
ग़म के पल या खुशी का समय हो "कमल",
दिल ये चाहे इन्हीं रिश्तों से बोल लूँ।