बस दुआओं में याद रखना
बस दुआओं में याद रखना
तुझे चाहा, मैंने दिल से,
पर तू, ना मिली,
कोई, ग़म नहीं,
तू तकलीफ में है,
बस इसी बात का ग़म है।
ये दस्तूर है, जमाने का,
चाहो जिसे दिल से,
वो मिलता नहीं,
यही सोचकर
हम जी लेंगे,
मगर तुझे भूलना,
इतना आसान नहीं।
तुझसे दूर होने के,
नाम से भी,
आँखें मेरी भर आती हैं,
हम अपने परिवार की खुशी,
जाति, धर्म,
मजहब, सम्प्रदाय,
बेबुनियादी,
रूढ़ीवादी, परम्पराओं,
को बचाने के लिए,
अपने खुशी का,
गला घोंट देते है।
हम मजबूर नहीं होते हैं,
मगर इन घिसी-पिटी,
परम्पराओं को बचाने के लिए,
अपने सपनों का गला,
घोंट देते है।
ताकि हमारे माँ-बाप,
खुश रहें,
मगर ये नहीं सोचते हैं,
कि हमारी खुशी का क्या,
हमारे सपनों का क्या,
उसका क्या,
जिसने हमसे बेशुमार,
प्यार किया।
ये दोस्ती,
उम्र भर रहेगी,
अपने आपको कभी,
अकेला मत समझना,
तुम्हारे होंठों पर,
मुस्कान ही अच्छी,
लगती है,
इसे कभी खोने,
मत देना।
हमारा जिस्म सिर्फ,
अलग हुआ है
रूह नहीं,
हम जिस्म से भले ही,
ना मिल पाये,
मगर रूह से कोई,
नहीं रोक सकता।
कहना तो बहुत कुछ है,
मगर इतना काफी है,
सिर्फ अपना ख्याल रखना,
अच्छा चलता हूँ,
बस दुआओं में,
याद रखना।