बेड़ी
बेड़ी
नारी का जीवन एक बेड़ी,
दर्दभरी इसकी हर कड़ी,
सुंदर मुलायम भी, छोटी हो या बड़ी,
सोने-चाँदी की या रत्नजडित,
पर बेड़ी !
नारी की हर अनकही आह भी एक बेड़ी,
नारी का परिवार और साज श्रृंगार भी है बेड़ी !
दुनिया गोल, तो गोल है बेड़ी
नारी की बिंदी गोल, गोल है उसकी चूड़ी
इसके बिछुए गोल, गोल है बेड़ी !
गोल है बाली, गोल-गोल लिपटी साड़ी
पाजेब, कमरबंद और नथनी भी गोल बड़ी
नारी का जीवन एक सुंदर गोल बेड़ी !
गोल अंगूठी पहनकर, नये परिवार से जुड़ी,
गोल थाली, गोल कटोरी, पतीली भाग्य में जड़ी,
नारी जैसी भी हो, अनपढ़ या लिखी-पढ़ी,
पीछा न छोड़े उसका यह गोल बेड़ी !
हँस-मुख यह, तत्पर, सदैव जीने के लिए,
भले राह हो सरल या टेढ़ी-मेढ़ी !
नारी का जीवन -
एक सुनहरी, सुंदर, गोल बेड़ी !