पिया संग होली
पिया संग होली
ऊंचे नीले अंबर के केसरिया गाँव में
बाँधकर झनकती हुई पायल पाँव में
उमड़ी है मतवाली घटाओं की टोली
प्रकृति के आँगन में पधारी है होली
वासंती पौन ने बिखराया लाल गुलाल
बहारों ने भी मचाया है अजब धमाल
संग दिनकर के भोर ने आँखें खोली
नूतन एहसास में नहाकर आई होली
घूंघट पट खोल मुसकुराती हर कली
मस्त भँवरे झूमते उपवन की हर गली
महक रहा टेसू खाकर भांग की गोली
वृन्दावन में राधा संग कान्हा खेले होली
कानन वन ठुमक-ठुमक नाचे मयूरी
कोयल गाये गीत आस रहे न अधूरी
हर रंग में रंगी आज धरती की चोली
इक अजीब खुमारी में छायी है होली
झूमे ब्रह्माण्ड, झूम रहा है नील गगन
साजन आकर बुझाओ तन की अगन
पिया खींचे जब चुपके से मोरी चोली
थी मज़बूर पिया संग खेलन को होली।