STORYMIRROR

Vivek Agarwal

Romance

4  

Vivek Agarwal

Romance

ग़ज़ल - बना चाँद सर का टीका

ग़ज़ल - बना चाँद सर का टीका

1 min
355

बना चाँद सर का टीका, जड़े जुगनुओं से कंगन।

बिंदिया में चमके तारे, यूँ सजी है मेरी दुल्हन।

तेरी मुस्कुराहटों से, हैं चमन में फूल खिलते,

तेरी साँस की है खुशबू, जो महक गया है गुलशन।

तू ख़िज़ाँ-ए-ज़िन्दगी में, यूँ बहार बन के आई,

जैसे सूखते गुलिस्ताँ, में बरस गया हो सावन।

तू कहे तो मैं बुझा दूँ, ये शमा जो जल रही है,

हैं चिराग सारे फीके, जो तेरा है रूप रोशन।

क्यूँ भला तू दूर बैठी, ये तो रात है मिलन की,

तेरा नाम ले रही है, आ सुनाऊँ दिल की धड़कन।

हैं तेरी झुकी निगाहें, मेरी बे-क़रार बाहें,

तेरे होंठ मद के प्याले, नहीं बस में आज ये मन।

है कसम ये आज हमको, कभी हम जुदा न होंगे,

तू मेरी मैं हूँ तेरा अब, ये सदा सदा का बंधन।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance