कविता तेरे नाम की
कविता तेरे नाम की
दिल में दबाए कुछ राज रखती हूँ
अब एक कविता तेरे नाम लिखती हूँ
हर पल तेरा ही ख्याल रखते हैं
प्यार भी तुमसे बेमिशाल करते हैं।
दूरियाँ भी बयां करती इजहार है
कैसे कह दे कि हमें इनकार है
धीरे धीरे नए अंदाज सीखती हूँ
लम्हों की कविता तेरे नाम लिखती हूँ।
मिलना तुझसे कोई अनहोनी है
किस्मत में लिखी सारी होनी है
ना हम तुझे दूर जाने देंगे और
ना इस किस्से में गैरों को आने देंगे।
कहना है जो तुझे मैं भी वही कहती हूँ
इसलिए ये कविता तेरे नाम लिखतीं हूँ
नाम में तेरे भी काफी दम है
किसने कहा हम किसी से कम है।
हँसी आलम होगा जब हम मिल जाएंगे
कविता ये फिर सभी को सुनाएंगे
जिंदगी की हकीकत को तेरे नाम करती हूँ
इसलिए ये कविता तेरे नाम लिखती हूँ।