मेरे चाहने वाले की आदत है
मेरे चाहने वाले की आदत है
मेरे चाहने वाले की आदत है
मेघावी शाम के साये में
व्हिस्की की चुस्की लेते
मेरे गेसू से खेलने की !
धुआँ दिया है संदली सुगंधित
महकता क्या मजा गर
ना बहके यार की नज़रें
मेरे हुश्न का पान करते !
कत्था सुपारी शौक़ है उनका
जाफ़रानी ज़र्दा चखा लिया
है साँसे खुशबूदार !
जाम शर्माकर छलक गया
देख मेरे नयनों की हाला नशीली
उफ्फ़ तौबा लो नज़रें उठाई
मेहबूब ने देखा कुछ ऐसे।
जलवे हुश्न के हार गए
कयामत है यार की निगाहें !
बादल गरजे बाहर
बरसे नेह उर के अंदर !
कुछ व्हिस्की ने असर दिखाया
खता कुछ रेशम से गेसू की
मेरे चाहने वाले की आदत है
मेरे गेसू से खेलने की।