पहला प्यार
पहला प्यार
प्यार से जब मिली,
मुझे पता न था,
वो चाहता था,
पर उसे जताना ना था !
उसे देख के धड़कने बढ़ जाती थी,
कहना तो बहुत कुछ था,
पर शब्द ना था !
पहले तुम,
पहले की ज़िद जो थी,
उसे हारने की आदत थी,
मुझमें जीतने की हिम्मत न थी।
उसने दबी जुबान में,
जताने की कोशिश भी की,
मैं समझ नहीं पाई,
नासमझ बन मुस्कुराती रही !
काश !
वह जीत जाता,
और मैं हार जाती,
तो जब भी पहले प्यार की,
बात आती तो मैं,
गुनगुना कर मुस्कुराती !