बचपन सुहाना
बचपन सुहाना
छुपम- छुपाई का चित्र मन खुश हो गया
बचपन की यादों ने
सोचने पर मजबूर कर दिया ....
वाह! बचपन के दिन भी क्या दिन थे।
स्कूल जाना
गाना गाकर तख्ती सुखाना
कलम से सुन्दर लिखना
जी की निब से कमाल ढाना।
बुड्डी के बाल खाना
इमली के चटकारे लेना
संतरे की गोलियाँ खाना
गुड़ - गट्टा चबाना
दाँतो से निकालना
सैनीटाइजर अपना कुरता
बस हाथ पौंछा व खा लिया
R O नहीं, कुएँ, बौड़ी, नदी सब हैल्दी ।
छुपन -छुपाई
पकड़म - पकड़ाई
गुल्ली - डंडा और पिटठू।
सब पसंदीदा खेल...
पल में कट्टी, पल में बट्टी
न छल न कपट
साफ दिल, सब स्वच्छ।
कितने प्यारे थे वो दिन
काश! लौटा लाए कोई
वो बचपन सुहाना