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Renu Sahu

Drama Inspirational

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Renu Sahu

Drama Inspirational

पंचमी (पीला)

पंचमी (पीला)

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मातृ-पुत्र का प्रेम जो बरसा,

वो सृस्टिसुता, वो पुराण कर्ता।

छवि मात की मोहनी माया,

जिनके आँचल सृस्टि समाया॥


पीत रंग आनंद समाए,

कर प्रफुल्लित, चमक बिखराए।

सीखने का ये बल है देती,

करती तृप्ति आत्म संतुष्टि॥


मंदिर-मंदिर, जोत-जवारा,

तेरी भक्ति करे जग सारा।

अलौकिक ऊर्जा, शक्ति अलौकिक,

भाव सभी के सुलक्षण दैविक॥


कुमार जननी, वात्सल्य-सलिला,

कार्तिकेय माता, मनमोहक रूपा।

गोद जिनके स्कन्द विराजे,

ममता का रस जिसपे साजे॥

 

देवासुर संग्राम जिताया,

बन सेनापति विजयी कहलाया।

कार्तिकेय की होती पूजा,

जिनकी जननी स्वयं माँ दुर्गा॥


पद्मासना माँ नाम तुम्हारा,

कमल पुष्प आसान लगवाया।

सौर-मंडल की अधिष्ठात्री देवी,

अलौकिक प्रभामंडल आच्छादित होती॥


मन एकाग्र कर करते पूजा,

पीला वस्त्र है माँ अम्बे का।

कर उपासना भक्त हर्षाए,

मोक्ष द्वार स्वमेय खुल जाए॥


सुबह सवेरे आरती करते,

पीले पुष्प चरण में धरते।

कुमकुम, पांच फल है चढ़ाया,

खीर केले का भोग लगाया॥


तप कठोर करते सब माता,

संतान सुख की करते अभिलाषा।

विद्या वाहिनी दुर्गा देवी,

हरती कष्ट सब, संत जनो की॥


प्रेम की वर्षा करती मैय्या,

तेरे सहारे जगत की नैय्या।

करुणा मयी का रूप निराला,

बच्चों सा पालती, ये जग सारा॥


मातृ पुत्र के प्रेम का, है अलौकिक अवतार।

स्कंदमाता पंच नवदुर्गा, वंदना करो स्वीकार॥ 



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