मैं और तुम
मैं और तुम
मैं बहार बनूँ तुम फूल बनो,
मैं आऊँ तो खिल जाना तुम,
और खिल के बहुत महकना तुम।
सुराही मैं, तुम हो प्याला
मैं आऊँ तो भर जाना तुम,
भर कर बहुत छलकना तुम।
बूँद बनूँ मैं तुम बादल
मैं भर जाऊं तो छाना तुम
और छा कर बहुत बरसना तुम।
मैं भोर बनूँ तुम अंगड़ाई
मैं आऊँ तो उठ जाना तुम
और उठ कर बहुत अलसना तुम।
अधर बनूँ मैं बंसी तुम
पुकार सुनो तो आना तुम
रचना मधुर तराना तुम।
मैं प्रेमी तुम प्रेयसी हो
मैं आऊँ तो आ जाना तुम
और शर्मा कर इतराना तुम।
मैं बन जाऊँ तुम, तुम मैं हो
मैं आऊँ तो संग आना तुम
घर को आन सजाना तुम।