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Shalu Mishra

Romance

4  

Shalu Mishra

Romance

एक ख्वाब

एक ख्वाब

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वो मासूम सा चेहरा

मेरे ख्वाबों में चला

आता है।


तराना करीब होने का 

फिजाओं को कुछ यूँ 

सुनाता है।


मजबूर कम्बख्त चित्त

आँख मिचौली सी रोज

खिलाता हैं।


मोहब्बत का ये लिबास

सुनहरे लम्हों को अब

तरसाता है।


कह दूँ कुछ पर दिल

घबराता है।

दीवानगी का ये भम्र

सारी कायनात को भी

दिखाता है।


चाहत की इक आस में

नींद से क्षण में ही वो

जगाता है।

ऐसा मीठा सा ख्वाब 

रोज इन अँखियों में चला 

आता है।


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