Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Lakshman Jha

Romance

4  

Lakshman Jha

Romance

कुछ और सही

कुछ और सही

1 min
21



इक्छा हमारी होने लगी ,एक प्रेम गीत गुनगुनाऊं !

अपनी लेखनी को एक ,रूप देकर उनको सुनाऊँ !!

इन शिथिलता के दौर में ,शब्द कुंठित सारे हो गये !

छंद ,रस ,अलंकार कोष ,के घट सारे रिक्त हो गये !!

मंद -मंद बयार का बहना ,कुछ दिनों से बंद हो गया !

सावन जो कभी बरसते थे ,पछुआ उसे उड़ाके लेगया !!

स्पंदन नहीं एहसास नहीं ,हम डर कर दूर रहते हैं !

कविता की भाषा क्षणभर ,में पूरा कैसे कर सकते हैं ?

प्रेम गीत और प्रेम राग को ,मध्यांतर में ही रखना होगा !

तब तक कोई छंद अनोखा ,राग बनाकर हमें गाना होगा !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance