राजा और रानी
राजा और रानी
बड़ी पुरानी कहानी है, रानी सिर्फ राजा की दिवानी है।
राजा भी कुछ कम नहीं, रानी के साथ ही रहता था
रानी के भरोसे जिंदगी थी, ना ही कभी वह डरता था।
राज पाट बड़ा था काफी, बहुत सारे उनके रक्षक थे
दुश्मनी भी पलती थी वहाँ, कुछ उनके भक्षक भी थे।
जिंदगी दौड़ने का नहीं, बस चुपचाप चलने का नाम है
यहाँ सब काम में माहिर, सबका अपना अपना काम है।
हाथी, घोड़े, ऊँट, सिपाही, कहाँ बहुत देर टीक पाते हैं
रानी गर निडरता से निकले, सब खुद की खैर मनाते हैंय़
राजा पर आंच ना आए, रानी कहाँ जान गवाने से डरे
खुद को न्योछावर करके, सिपाही रानी को जिंदा करें।
राजा ना डरे उठाने में कदम, रानी साथ में हैं उसके जहाँ
रानी के पीछे है राजा तो, किसी और की अब फिक्र कहाँ।
क्या कहा आपने, अच्छा! ऐसा कुछ पहले भी सुना होगा
अरे हा ! गेम चेस का तो, आपने भी जरूर खेला होगा।
जनाब सिर्फ गेम नहीं, कुछ सबक सीखना भी जरूरी है
जिंदगी राजा और रानी की, एक दूजे के बिना अधूरी है।
बन जाना तुम राजा ऐसा, जो रानी को खोने से डरता है
बहादुरी से राजा की रक्षा करेंगी, उसमें बड़ी निडरता हैं।
राजा का होगा शान बड़ा, जब रानी को देगा सम्मान बड़ा
मौत बाल ना बाका करे, जब रानी के साथ राजा हो खड़ा।