Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shalinee Pankaj

Tragedy

2  

Shalinee Pankaj

Tragedy

सुता

सुता

1 min
304


नाजो से पली

थी घर भर की लाड़ली

सोचा कभी ना था

भविष्य यूँ भयानक होगा।


देखती थी स्वर्णिम सपने

सफ़ेद घोड़े में सवार

एक सुंदर राजकुमार

होंगे न्यारे वो दिन अपने।


हर क्षेत्र में आगे रहती

हर बार नाम रोशन करती

बचपन निकला ऐसे तो

भविष्य सुनहरा होगा।


बिन देखे उसे तो

होती ना सुबह पापा की

फिर साँझ ढले थके कदमों से

बेटी को पुकारा होगा।


रुक जाते कदम वही

कुछ ठगा हुआ सा लगता

कॉलेज पढ़ने ही गयी अभी तो

बिन उसके दिन कैसा होगा।


घर बैठे ही रिश्ता आया

सुंदर लड़का सब को भाया

सोच समझकर किया जो रिश्ता

की कष्ट कभी बेटी को ना होगा।


आई वो मधुर बेला

परिणय सूत्र में बंधी तनया

कोई कमी ना पिता ने की

सोच के सब अच्छा होगा।


दूर देश भी ना दिया बिटिया को

अपनों के बीच रहेगी वो

क्या जाने ये माता-पिता

कितना दुखद अंत होगा।


प्रेम-विवाह या हो गठबन्धन

त्रासद युक्त हुआ क्यों जीवन

मातृ बेटी भगिनी और पत्नी

प्रेम करुणा की ही मूर्ति।


मानव रूप में निकला हैवान

हर दम क्यों करता परेशान

व्यथा कहे बाबुल से कैसे

परम्परा समाज की बनी है ऐसे


कभी क्रोध की हुई शिकार

कितना सहती अत्याचार

नशे में होता अक्सर वार

जीती भी बन ज़िंदा लाश।


इहलीला ही समाप्त कर ली कही

जीने के लिए लड़ती थी बार बार 

फिर लटकाया फांसी में

क्यों उसके ही हम दम ने।


हर रोज अखबारों को ही

दुखित खबरों से भरा पाऊँ

काली रणचंडी बन जाये नारी

हर एक को समझाऊँ।


काटो मारो इन शैतानों को

जो नारी का करे अपमान

पनपने ना दो इस विषबेल

हर सज्जन अब रखो यह ध्यान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy