तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
जीवनसाथी
पता है, तुम्हें
कितनी मुहब्बत करती हूँ तुमसे
बेवजह, बेपरवाह
नहीं जानती की,कब से
पर ये सफर है अनन्त के लिए
हाँ तुम मेरी हर बात नहीं मानते !
कभी आराम से बैठ
सुनते नहीं हो मेरी बातें !
फिर भी,
तेरे हर अंदाज से मुहब्बत करती हूँ।
जो मेरी उम्र की तरह बढ़ती जा रही है
हर पल, हर दिन
पता है तुम्हें, तुम्हारा साथ मेरे लिए कैसा है ?
जैसे चाँद के साथ बादल
जैसे सूरज के साथ उसका ताप
जैसे धरती पे जाह्नवी
जैसे हिमालय में बर्फ
जैसे जंगल में घने पेड़
जैसे कोयल की कुक
ये सब न हो तब भी तुम मेरे साथ
और मैं तुम्हारे साथ रहूँगी हमेशा,
ये मेरा वादा है !
ये प्रेम की बूटी का अस्तित्व जब तक रहेगा
मैं तेरे साथ रहूँगी
हर तरफ, हर कहीं
हाँ तुम ड्यूटी जाते हो
इंतजार करती हूँ तुम्हारा
बेसब्री से
रोके रखती हुँ साँसे तब तक
हाँ तुम कहते हो मैं सोती बहुत हुँ।
सच कहूँ तो आँखें बंद कर तुम्हें सोचती बहुत हूँ।
ये मेरा बिंदासपन
यूँ ही नहीं आया
पता है तुम साथ होना
मेरे वजूद में आत्मविश्वास की तरह
हम्म ! कहते हैं दुनिया
कि मैं आपसे मुहब्बत बहुत करती हूँ
सच तो ये है कि मैं तुझमें ही खुद को जीती हूँ।