क्या कहना
क्या कहना
चाह जगाने आये हैं क्या कहना,
आश बढ़ाने आये हैं क्या कहना ।
मयखाने में लाकर तन्हा छोङ दिया,
होश उङाने आये हैं क्या कहना ।
डाली-डाली फूल खिले हैं चाहत के,
रंग जमाने आये हैं क्या कहना।
तनहाई के आलम में अंजानी राहों पर,
साथ निभाने आये हैं क्या कहना ।
मन से उनके लागी अपनी हसरत है,
गम से छुङाने आये हैं क्या कहना ।
उनकी इनायत सर पे हमारे छाइ है,
राह दिखाने आये हैं क्या कहना ।
उनको जब से अपना जाना है मासूम,
होश ठिकाने आये हैं क्या कहना ।