हमें साथ उनका निभाना रहा
हमें साथ उनका निभाना रहा
हमारे लिये बस बहाना रहा।
हमें साथ उनका निभाना रहा।
महोब्बत के जज्बे पनपते रहे,
लबों पे खुशी का तराना रहा।
हुकूम उनके सारे बजा लाये पर,
हमारा मगर आजमाना रहा।
सभी से जताई वफा हमने लेकिन,
मुखालिफ हमारा जमाना रहा।
रहेगा सदा ही बिछडने का गम,
मगर जिंदगी को बसाना रहा।
तरसते रहे जिस खुशी के लिये,
खुशी ढूंढ़ता बस दिवाना रहा।
चलो आज मासूम चलें हम कहीं,
यहांँ अब न अपना ठिकाना रहा।।