प्रेमिका भाने लगी
प्रेमिका भाने लगी
क्यों माँ बेटी से ज्यादा
तुम्हें प्रेमिका भाने लगी।
दिखाई नहीं देती ग़म में
तुम्हें माँ बेटी कभी,
और प्रेमिका तुम्हें दीवारों में
नज़र आने लगी।
क्यों माँ बेटी से ज्यादा
तुम्हें प्रेमिका भाने लगी।
कैसे इसके ख्यालों में
खो गए तुम बिन देखे
और माँ बेटी के प्यार को भी
ये भुलाने लगी।
क्यों माँ बेटी से ज्यादा
तुम्हें प्रेमिका भाने लगी।
भूल कैसे गए जीवन
बिताया माँ के आँचल में
उसने हाथ झटका तो
मर्यादा तुम्हें ठुकराने लगी।
क्यों माँ बेटी से ज्यादा
तुम्हें प्रेमिका भाने लगी।
क्या कभी देखा किसी में
माँ बेटी के अक्स को
प्रेमिका गई तो तुम्हें
हर अक्स में नज़र आने लगी।
क्यों माँ बेटी से ज्यादा
तुम्हें प्रेमिका भाने लगी।
क्या प्रेम सिर्फ
प्रेमिका वाला तुमको चाहिए?
देखो ये ही कलयुग है
माँ बहन बेटी के प्यार को
सारी दुनिया भूलकर
प्रेमिका में डूब जाने लगी।
क्यों माँ बेटी से ज्यादा
तुम्हें प्रेमिका भाने लगी।