रास्ता चला जा रहा है
रास्ता चला जा रहा है
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अंधेरों से उजालों से निकल
एक रास्ता चला जा रहा है
किसी को क्या पता इसका
कहाँ रुका कहाँ थका बैठा
कैसे ये शाम सा ढला जा रहा है।
बारिश में तुफ़ाओं से निकल
एक रास्ता चला जा रहा है
लड़ रहा है झगड़ रहा है सबसे
किसी को मानता किसी हँसता
अपने गम को बहलाता चला जा रहा है।
ना तो तू है और ना ना मैं हूँ अब
ये रास्ता तनहा ही राह पा रहा है
ज़िंदगी के मुश्किल दौर से गुज़र
एक मज़िल छोड़कर दूसरी मज़िल
की राह की डोर पकड़ चला जा रहा है।
तनहा शायर हूँ यश।